Friday, August 31, 2018

एशियन गेम्स 2018: मंजीत ने लगाई 800 मीटर की स्वर्णिम रेस

जकार्ता एशियाई खेलों में भारत के मंजीत सिंह ने 800 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता. भारत के ही जिनसन जॉनसन दूसरे स्थान पर रहे और सिल्वर मेडल अपने नाम किया.
मंजीत ने एक मिनट 46.15 सेकंड का समय निकाल, जबकि जॉनसन ने एक मिनट 46.35 सेकंड का समय लिया.
800 मीटर की हीट में जॉनसन एक मिनट 47.39 सेकंड के साथ मंजीत से आगे रहे थे. जॉनसन ने इसी साल जून में श्रीराम सिंह का 42 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था.
हरियाणा के जींद निवासी मंजीत और जॉनसन की रेस तकरीबन फोटो फिनिश रही.
हालाँकि ये पहला मौका नहीं था जब मंजीत ने केरल के जॉनसन को पछाड़ा है. मंजीत इससे पहले भी 2013 में पुणे में जॉनसन को शिकस्त दे चुके हैं.
क़तर के अबू बकर अब्दुल्लाह ने स्पर्धा का कांस्य पदक हासिल किया.
एशियाई खेलों में ये तीसरा मौका है जब भारत ने 800 मीटर स्पर्धा में दो मेडल जीते हैं. 1951 में रंजीत सिंह ने गोल्ड और कुलवंत सिंह ने सिल्वर मेडल जीता था. एशियाई खेलों में भी 800 मीटर स्पर्धा में भारत के दलजीत सिंह ने सिल्वर मेडल जीता था, जबकि कांस्य पदक अमृत पाल के हिस्से आया था.
खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने मंजीत को बधाई दी है और कहा है कि वह चौथे नंबर पर थे और आखिरी के 50 मीटर में फर्राटा भरते हुए उन्होंने सोना जीत लिया.
मोहम्मद अनस, एमआर पूवम्मा, हिमा दास और अरोकिया राजीव ने चार गुणा 400 मीटर मिक्स्ड रिले रेस में सिल्वर मेडल हासिल किया. इस स्पर्धा का गोल्ड मेडल बहरीन के नाम रहा.
भारत अभी तक जकार्ता एशियाई खेलों में 9 स्वर्ण, 19 सिल्वर और 22 ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है. इसके साथ ही भारत के मेडल की संख्या 50 पहुँच गई है.शियन गेम्स-2018 में भारत की स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु इतिहास रचते-रचते चूक गईं.
ताइवान की ताई ज़ू यिंग ने बैडमिंटन के महिला एकल के फाइनल में सिंधु को सीधे गेम में 21-13, 21-16 से मात दी.
खेल के दौरान सिंधु की छोटी-छोटी ग़लतियां उन्हीं पर भारी पड़ गईं. सिंधु के पास जब मौक़े आए तो उन्होंने उसका फ़ायदा नहीं उठाया. ताइवान की ताई ज़ू यिंग वर्ल्ड नंबर वन खिलाड़ी हैं और उन्होंने इस मैच में ख़ुद को साबित भी किया.
हालांकि इसके बावजूद एशियन गेम्स 2018 में पीवी सिंधु और सायना नेहवाल ने इतिहास रचा है. 1982 में सैयद मोदी के बाद बैंडमिंटन में पहली बार दोनों ने भारत को मेडल दिलवाया है. सैयद मोदी को 1982 में कांस्य पदक मिला था. मीफ़ाइनल में 23 साल की सिंधु जापान की अकाने यामागुची को हराकर फ़ाइनल में पहुंची थीं. सेमीफ़ाइनल में विश्व बैडमिंटन में तीसरे नंबर की खिलाड़ी सिंधु ने जापान की अकाने यामागुची 21-17 15-21 21-10 से हराया था.
महिला बैडमिंटन में भारत का प्रभाव दुनिया भर में बढ़ा है. इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महिला एकल बैडमिंटन में रजत पदक सिंधु को मिला और कांस्य सायना नेहवाल को.
सिंधु ओलंपिक में रजत पदक जीत चुकी हैं.
बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु दुनिया की 7वीं सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली महिला खिलाड़ी हैं. फोर्ब्स ने दुनिया में सबसे ज़्यादा कमाने वाली महिला खिलाड़ियों की सूची तैयार की है.
रियो ओलंपिक में भारत को रजत पदक दिलाने वाली पीवी सिंधु ने जून 2017 से जून 2018 के बीच 85 लाख डॉलर कमाए. इसमें इनाम में जीती राशि और विज्ञापन की फ़ीस भी शामिल है. फ़ोर्ब्स की सूची में सबसे ऊपर टेनिस स्टार सेरेना विलियम्स का नाम है.
सिंधु को 23 साल की उम्र में ही राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड और पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है.
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Friday, August 17, 2018

可持续交通发展:中国经验

用手机扫码打开一辆共享单车的车锁,骑上它沿着自行车专用道前往最近的快速公交(BRT)车站,把自行车停在车站外,前往下一个目的地。这样的出行场景在很多中国城市已经成为家常便饭。

伴随着近40年的快速城市化,中国经历了从“自行车王国”到交通机动化再到可持续交通的曲折历程。大规模的探索及实践积累了宝贵的经验。作为世界上最大的发展中国家,中国的经验对于其它大型发展中国家有极大的借鉴意义。

“自行车王国”变迁

建国后中国的城市交通发展,按照其发展的特点,大体经历了4个发展阶段:
  • 1949-1980年,初级的绿色交通出行

这一时期城市的发展速度较慢,城市的空间尺度较小,再加上经济发展水平和居民收入限制,当时的交通工具以自行车为主,中国也由此被誉为“自行车王国”。骑自行车出行也是上世纪80年代前中国人的集体记忆。

  • 1980-2004年,机动化交通初步发展并逐渐加快

这一时期,中国城市处于扩张的初期,中国城市空间尺度不断扩大、城区道路建设加快,私人机动车拥有率上升,在这些因素的影响下城市机化交通得以快速发展,交通工具开始逐渐从自行车向机动车过渡,同时小汽车数量也有一定程度的增长。
  • 2004-2012 城市交通快速机动化与公共交通快速发展

随着经济的发展和基础设施的完善,城市交通进入快速机动化的阶段,为应对快速机动化趋势,中国开始了推广公共交通的政策和实践。但是,城市公交设施的增长依然无法满足快速的城市扩张带来的机动化“爆发式” 增长的需求,仅仅十年时间,中国城市交通快速进入机动化的时代。中国汽车工业协会数据显示,中国小汽车年销量从2001年的237万辆急速增长至2017年的2888万辆,在2001年到2010年的十年中,年均销量增速达24%。
  • 2012-现在 高机动化发展趋势下发展高品质绿色交通出行

中国城市交通大规模机动化已开始引起越来越广泛的城市交通拥堵和空气污染问题,小汽车车越来越普遍,街道的设计转而为汽车服务,对非机动出行方式友好程度下降。为了进一步促进城市交通结构向绿色出行方式转变,自2012年后中央和地方政府都逐步开始推动城市慢行交通的发展。慢行交通在城市规划和管理中普遍被忽视的状况正在逐渐得到改变,新兴的可持续出行模式开始在中国出现并快速发展起来。004年后,中国城市开始了大规模的城市轨道交通和快速公交(BRT)建设,截止2017年第三季度,中国大陆城市开通轨道交通(仅含地铁、轻轨、单轨和APM)城市29个,运营线路118条,开通运营总长度达3862公里,中国城市轨道交通年客运量达176.8亿人次。上海和北京的轨交运营总长度均已超过伦敦,其繁忙程度也超越了纽约和巴黎这样的西方大城市。一些中国大城市的轨道交通承载了半数左右的公共交通客流。

但与高投资的轨道交通相比,单位投资更低廉的基于公交车的运输系统快速公交(BRT)作为世界银行向发展中国家推荐的中运量公交模式,也获得了中国城市管理者的青睐。2005年开通的北京BRT设计模式充分借鉴巴西等拉丁美洲国家BRT经验,采用“封闭走廊”的运营模式,通过设置隔离的专用道及封闭车站、快捷及高频次的运营、车外售检票及完善的乘客信息系统,提供快速可靠且经济的公共交通服务。截止2018年初,中国共有32个城市开通了快速公交系统,还有十余个城市正在进行BRT的规划、设计或建设工作。

中国在吸取拉美经验发展BRT快速公交时,也走过一些弯路,并从中发展出了更适合自身城市情况的BRT模式。由于中国城市BRT走廊上原有公交线路较多,库里蒂巴的“封闭走廊”模式只能容纳少量公交线路在BRT走廊内运行,大多数公交线路运行在公交走廊外运行,不仅BRT专用道使用率不高,同时多数公交线路也无法享受到公交专用道的服务。而2009年广州所开创的“封闭走廊+灵活线路”模式既整合了走廊沿线公交线路,又允许BRT车辆在走廊外通行,最大限度的发挥出BRT专用道的能力。时,广州BRT走廊也提出综合交通走廊理念,充分整合走廊内多种交通模式,管理路内停车,将步行、自行车、公交、地铁等交通模式整合,形成一体化的地面交通出行模式。

广州BRT走廊通过这些设计,实现了最大断面单向高峰小时客流高达2.8万人次,高过大多数的地铁系统和世界上所有的轻轨线路的单线客流水平。2011年,广州BRT赢得了可持续交通奖和联合国气候变化框架公约的灯塔奖。为应对快速机动化的建设模式对城市生活的割裂,中国城市在街道建设上也开始了转型与创新,在理念上推动从“主要重视机动车通行”向“全面关注人的交流和生活方式”转变,重塑城市街道空间。
2016年,上海发布《上海街道设计导则》,着重体现了街道的核心价值向以“人”为本的转变。《导则》重视过去被忽视的步行和自行车出行,适当压缩机动车空间,设立慢行优先、步行有道、骑行顺畅等目标,给行人和自行车一个受尊重、舒适、便捷的出行环境。

在广州,街道建设创新的技术标准编制与建设实践齐头并进,通过技术标准的编制指导实践,通过示范路的建设来选择适宜本地实施的技术标准编制,并于2017年开始了大规模城市品质提升工程。目前在中国,除上海,广州外,还有武汉、南京等数十个城市已经开始了各自城市的街道设计手册的编制,越来越多的中国城市都在加入街道革命的浪潮。 3. 拥抱创新:电动自行车和共享单车

伴随中国城市化进程加速,城市中产及工薪阶层需要新的交通方式通勤。电动自行车和新近出现的共享单车因为满足了中国广大城镇居民对速度和便捷性的需求,迅速风靡全国各地。2014年中国电动自行车保有量已经超过2亿,成为中国无数家庭的最主要的交通方式。而截止2017年5月,中国累计投放共享单车超过1000万辆,注册用户超1亿人次,累计服务超过10亿人次。

作为新型城市交通工具,电动自行车不直接产生污染物排放、占用道路资源少、适合中短途的出行,与自行车相比速度快,节省体力,使用价格也比较低。而“随用随租,随到随还”的共享单车也极大促进了城市自行车出行。电动自行车在公交系统不完善的城市起到很好的补充作用,而共享单车则能有效改善公交系统的“最后一公里服务”,提高了公交使用率,同时也替代了部分小汽车短途出行。

根据共享单车公司摩拜单车数据显示,北京81%的共享单车活跃在公交站点周边,而上海达到了90%。高德地图2017年第一季度交通报告分析得出,自共享单车上线以来,主要城市5公里以内短途驾车出行的比例持续下降,北京和上海5公里内驾车出行的比例在共享单车出现后降低了5%。

但这两种蓬勃发展的出行方式也为城市管理带来难题。电动自行车因为速度相对较快且数量增长迅速,成为城市交通事故的主要来源之一。2013年至2017年,中国共发生电动自行车肇事致人伤亡的道路交通事故5.62万起,造成死亡8431人、受伤6.35万人。乱停放则是共享单车的最大问题。导致这一问题的深层次的原因是城市自行车设施的匮乏和对长期对自行车骑行管理的缺失。

这些出行方式的兴起往往伴随着与城市管理者的博弈。中国政府在尝试规范它们的使用过程中也积累了宝贵经验。例如,中国早期对电动自行车速度和重量等指标的限制,因违背公众出行需求,引起了巨大争议。部分地方政府简单地禁止或限制电动自行车的使用,也难以为公众接受。在这些经验基础上摸索出的电动自行车管理“南宁模式”,摒弃了一禁了之的传统思维,而是通过针对电动车专门优化交通信号、完善交通标志和交通安全教育,实现了城市与大量电动车的“共存”。同样,面对迅速扩张的共享单车大潮,中国中央政府及部分政府部门,已出台相关管理条例及办法,力求引导而非禁止共享单车的发展。一些城市也开始升级和扩充自行车道等基础设施,提升自身的“自行车友好性”。

中国经验的启示

中国作为大型发展中国家,对其它处于相似发展阶段,也在各自的城市化中面临向可持续交通转型机遇与挑战的发展中国家来说,可以提供以下有益的借鉴和启示。
1. 高质量的公交服务是可持续交通发展的基础
可持续交通发展的基础是公共交通的服务必须比小汽车交通更具竞争力,并具有准时性、便捷性和舒适性。高质量的公交服务不简单等于公共交通设施规模的扩张,更需要良好的设计和运营来达到为更多人群提供高质量的公交服务,这也是中国部分城市能抑制私人小汽车使用、快速转向可持续交通发展的关键。

巴西圣保罗的大运量公交系统(含地铁、有轨电车和BRT)覆盖25%的城市人口。与之对比,北京同类系统的覆盖人口数量达60%。正是由于北京的高质量的公交服务可以覆盖更多的人群,自2010年后,在机动化交通的出行比例依旧快速增长的情况下,高质量的公共交通承担了大量的机动化出行,私人小汽车和出租车的出行比例已经开始持续下降。
2. 发展多模式一体化交通体系
以公共交通为基础,建立自行车与城市公共交通系统的良好衔接,将促进城市交通系统一体化发展,进一步增加公共交通的吸引力,解决“最后一公里”问题。

3. 建设以人为本的城市
在经历街道沦为为汽车设计的大尺度空间后,中国城市开始意识到城市建设和发展最终是为了适宜人类居住,开始转向建设以人为本的城市。同时,中国城市的经验表明,城市提供了可供选择的可持续交通出行方式后,市民会选择放弃小汽车出行。在南宁,45%的电动自行车骑行者家庭拥有小汽车。

4.积极拥抱交通创新
随着科学技术的进步,新的交通工具和新的出行模式在中国兴起并迅速运用,如电动自行车和共享单车,这些新的出行模式虽然会带来一定的困扰,但从中国实际来看,这些新的出行模式极大的推动了可持续交通的发展。随着时代的进步,未来存在越来越多的新的模式的出现。巴西城市在对待新的交通模式时,可以学习中国城市,在发展的初期,包容其不完美,在过程中,鼓励其进步,探索新的方法解决这些新的问题。

Tuesday, August 14, 2018

तस्वीरों में: वास्तुकला के हैरान करने वाले नमूने

साल 2018 के विश्व वास्तु-कला अवॉर्ड महोत्सव की शार्टलिस्ट में रियाद के एक शोध संस्थान की इमारत, बिना मीनार की एक मस्जिद और चीन के गांव का एक लाउंज जैसे वास्तु-कला के नमूनों को चुना गया है.
पुर्तगाल में स्थित चैपल अवर लेडी ऑफ़ फ़ातिमा को धार्मिक इमारतों की श्रेणी में चुना गया है और इसे प्लेनो ह्यूमानो आर्किटेक्टोस ने सबमिट किया है.
इस महोत्सव में चुनी गई 536 वास्तु-कला परियोजनाएं हर तरह और आकार के वास्तु-कला के नमूनों का प्रतिनिधित्व करती हैं.
चीन के शेंगकन इलाके में बसा ये छोटा-सा लाउंज स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए पर्याप्त जगह देता है. इसका पुनर्निमाण एसयूपी एटेलियर ने किया है.
इस प्रतियोगिता में शामिल होने वाली परियोजनाओं में से सबसे अच्छे प्रतिभागी का चुनाव नवंबर महीने में एम्सटर्डम में होना है.
इटली के वेनिस शहर में बनी ये कृति बांस की बनी हुई है और इसे वो ट्रोग गिया आर्किटेक्ट्स ने बनाया है.
अगर इस प्रतियोगिता के वरिष्ठ जज़ों की बात करें तो डच आर्किटेक्ट नतालिया डे व्राइज़ उन चुनिंदा लोगों में शामिल होंगे जो साल की सबसे बेहतरीन इमारत का चुनाव करेंगे.
तस्मानिया में स्थित इस इमारत को होटल एंड लेज़र श्रेणी में रखा गया है.लंदन में स्थित रॉयल एकेडमी ऑफ़ म्युजिक के थिएटर और रिसायटल हॉल को ईयान रिची आर्किटेक्ट्स ने संगीत के वाद्य यंत्रों के घुमावदार डिज़ाइन से प्रेरित होकर बनाया है.इमेज कॉपीरइट IV नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में स्थित उलेवल टार्न नाम की इस इमारत को स्मॉल स्केल हाउसिंग कैटेगरी में भेजा गया है.इस इमारत को कोड आर्किटेक्चर नाम की फ़र्म ने बनाया है.इमेज कॉपीरइट  ब्राज़ील में अटलांटिक महासागर की ओर मुख किए हुए इस घर को बर्नार्ड्स आर्किटेक्चर ने बनाया है.
ईरान की राजधानी तेहरान में बनी ये एक ख़ास किस्म की मस्जिद है जिसमें मीनारें नहीं हैं. इस इमारत तो फ्लुइड मोशन आर्किटेक्ट्स ने डिज़ाइन किया है.
केप टाउन स्थित अनाज़ रखने के स्थान को अफ़्रीका की कला सहेजने की जगह के रूप में तब्दील किया गया है.
केप टाउन में स्थित इस ज़ीट्ज़ म्यूज़ियम को हेथरविक स्टूडियो ने बनाया है.पेन में स्थित इस इमारत को रामोन इस्टेव स्टूडियो ने इस प्रतियोगिता में भेजा है.इमेज कॉपीरइट  इटली के मिलान शहर में ट्यूब से बनाई गई इस आकृति 'हसमोशन' को प्रतियोगिता में तबनलिगोलू आर्किटेक्ट्स ने बनाया है.
ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एलिसन ब्रुक्स आर्किटेक्ट्स की बनाई हुई ये इमारत आवासीय और पढ़ने-लिखने के लिए जगह उपलब्ध कराती है.
इमेज कॉपीरइट Dआयरलैंड में स्थित इस सिनेमा हॉल को डेपाओर नाम के आर्किटेक्ट को बनाया है.

Thursday, August 9, 2018

यूटेरस ट्रांसप्लांट कराना कितना मुश्किल है

"मैं केवल 28 साल की हूं. इस उम्र में मेरे तीन अबॉर्शन हो चुके हैं. एक बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ. डॉक्टर कहते हैं कि अब मेरा खुद का बच्चा नहीं हो सकता. लेकिन मुझे मेरा अपना बच्चा चाहिए. मैं सरोगेसी से बच्चा नहीं चाहती हूं. और न ही बच्चा गोद लेना चाहती हूं. आप बताइए, क्या हो सकता है?"
गुजरात के भरूच की रहने वाली मीनाक्षी वलाण्ड जब पहली बार डॉ. शैलेश पुटंबेकर से मिली तो वो बेहद निराश थी.
वह साल 2017 में अप्रैल का महीना था. उमस भरी गर्मी में मीनाक्षी अपनी मां और घर वालों के साथ डॉ. शैलेश के अस्पताल पहुंची थी.
डॉ. शैलेश पुटंबेकर देश भर में यूटेरस (गर्भाशय) ट्रांसप्लांट के लिए जाने जाते हैं और पुणे के गैलेक्सी अस्पताल में कार्यरत हैं.
मीनाक्षी के गर्भ में बच्चा ठहर नहीं पा रहा था, क्योंकि उनको 'अशर्मान सिंड्रोम' नाम की बीमारी थी. इस बीमारी में महिलाओं को मासिक धर्म न आने की समस्या होती है और यूटेरस (गर्भाशय) सालों तक काम नहीं करता है. अक़सर एक के बाद एक कई मिसकैरेज होने की वजह से यह बीमारी होती है, इसके अलावा पहली डिलिवरी के बाद, यूटेरस में 'स्कार' या खरोंच होने की वजह से भी यह बीमारी होती है.
अंतरराष्ट्रीय जरनल ऑफ अप्लाइड रिसर्च
दुनिया में यूटेरस ट्रांसप्लांट न के बराबर होते हैं. डॉ. शैलेश के मुताबिक़ पूरी दुनिया में अब तक केवल 26 महिलाओं का ही यूटेरस ट्रांसप्लांट किया गया है, जिनमें से केवल 14 ही सफल हुए हैं.
जबकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स
डॉ. शैलेश के मुताबिक यूटेरस ट्रांसप्लांट की पहली शर्त ही होती है कि डोनर महिला मां, बहन या मौसी हो.
देश में इस पर फ़िलहाल कोई क़ानून नहीं बना है क्योंकि सांइस की इस विधा में अभी ज़्यादा सफलता नहीं मिली है.
डॉ. शैलेश के मुताबिक एक बार डोनर मिल जाए तो, फिर लैप्रस्कोपी से यूटेरस निकाला जाता है. यूटेरस ट्रांसप्लाट का मामला लिविंग ट्रांसप्लांट का मामला होता है. इसमें ज़िंदा महिला का ही यूटेरस लिया जा सकता है. पूरी प्रक्रिया में दस से बारह घंटे का वक्त लगता है.
दूसरे ऑर्गन डोनेशन की तरह किसी महिला के मरने के बाद यूटेरस डोनेट नहीं किया जा सकता.
डॉ. शैलेश के मुताबिक एक बार यूटेरस ट्रांसप्लाट हो जाए तो तकरीबन एक साल बाद ही महिला का गर्भ बच्चा रखने के लिए तैयार हो पाता है, लेकिन वो भी सामान्य प्रकिया से नहीं.
डॉक्टरों के मुताबिक, यूटेरस ट्रांसप्लांट के बाद अक़्सर 'रिजेक्शन' का ख़तरा रहता है. यानी ज्यादातर मामलों में शरीर बाहर के ऑर्गन को स्वीकार नहीं करता. इसलिए एक साल तक मॉनिटर करने की जरूरत पड़ती है.
यूटेरस ट्रांसप्लाट के बाद अगर महिला को बच्चा चाहिए तो एम्ब्रायो यानी भ्रूण को लैब में बनाया जाता है, और फिर महिला के बच्चेदानी में स्थापित किया जाता है.
भ्रूण बनाने के लिए मां के अंडाणु और पिता के शुक्राणु का इस्तेमाल किया जाता है. मीनाक्षी के मामले में भी ऐसा ही किया गया. इस साल अप्रैल के पहले सप्ताह में लैब में तैयार किए गए भ्रूण को डॉ. शैलेश और उनकी टीम ने उनकी बच्चेदानी में स्थापित किया.
के मुताबिक पूरी दुनिया में 42 यूटेरस ट्रांसप्लांट के मामले सामने आए हैं. हालांकि केवल 8 मामलों में महिला ने ट्रांसप्लांट के बाद गर्भ धारण किया है.
आठ मामलों में से सात स्वीडन के हैं और एक अमरीका का है. मीनाक्षी का मामला एशिया का पहला है जहां यूटेरस ट्रांसप्लांट के बाद बच्चा पैदा होने कि प्रक्रिया में है.
मीनाक्षी को यूटेरस उनकी अपनी मां ने दिया है. उनकी मां 49 साल की हैं. आम तौर पर इस तरह के ट्रांसप्लांट में डोनर की उम्र 40 से 60 साल के बीच की होनी चाहिए.
में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया में 15 फ़ीसदी महिलाएं अलग- अलग वजहों से मां नहीं बन सकती हैं. जिनमें से 3 से 5 फ़ीसदी महिलाओं में यूटेरस की दिक्कत इसके पीछे की वज़ह होती है.
मीनाक्षी आखिरी बार दो साल पहले गर्भवती हुई थी. "एक वो दिन था और एक आज का दिन है. मेरा सपना सच होने जा रहा है. मुझे बेसब्री से नवंबर के पहले सप्ताह का इंतज़ार है." मीनाक्षी जिस अस्पताल में भर्ती हैं वहां हर नर्स और जूनियर डॉक्टर से हर दिन एक बार वो इस बात का ज़िक्र ज़रूर करती हैं.
फिलहाल पिछले पांच महीने से मीनाक्षी अस्पताल में भर्ती है. वो 21 हफ्ते की गर्भवती है. मई 2017 में उनका यूटेरस ट्रांसप्लांट हुआ था. उनकी मां ने उन्हें अपना गर्भाशय दिया है.